पेशे से वकील गायत्री ने कहा है कि वह पैसे देने को भी तैयार थी, लेकिन सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने उनका कोरोना वायरस का टेस्ट करने से इनकार कर दिया.
सोशल मीडिया पर एक महिला ने आरोप लगाया है कि जब वह कोरोना वायरस से टेस्ट कराने के लिए हॉस्पिटल गईं तो उन्हें कहा गया कि गंभीर लक्षण होने पर दोबारा आना. पेशे से वकील गायत्री खंधाडई ने ट्विटर पर लिखा कि वे हाल ही में दक्षिणी पूर्वी एशिया और यूरोप के दौरे से लौटी हैं और उन्हें हल्का फ्लू भी है. उन्होंने कहा कि राजीव गांधी जनरल हॉस्पिटल (RGGGH) चेन्नई ने उनका टेस्ट करने से साफ इनकार कर दिया.
गायत्री (@gayatrikl) ने लिखा- 'कोरोना पर तमिलनाडू सरकार की प्रतिक्रिया हैरान करने वाली है. पूर्वी एशिया और यूरोप के दौरे से लौटने के बाद मैं टेस्ट के लिए जनरल हॉस्पिटल गई थी. उन्होंने कहा कि जब लक्षण अधिक गंभीर हो तो आएं. मैं टेस्ट के पैसे देने को भी तैयार थी लेकिन उन्होंने ब्लड सैंपल लेने से मना कर दिया.'
गायत्री ने लिखा कि इसी तरीके से इटली और अमेरिका ने हालात खराब कर दिए. हमें जरूरत है कि हाई रिस्क वाले व्यक्तियों की जांच करें. एडवांस स्टेज पर लोगों को तलाश करने का क्या मतलब है?
उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट पर सिर्फ टेंपरेचर चेक किया जाता है. जबकि एक्सपोजर का सामना करने वाले लोगों का कम से कम टेस्ट होना चाहिए.
गायत्री ने ट्विटर पर एक कागज का टुकड़ा भी शेयर किया जिस पर डॉक्टर ने उन्हें दो दवा लिखी है. उन्होंने कहा- टेस्ट की मांग करने वाले लोगों को ये दवा दिया जा रहा है. महामारी को लेकर राज्य का ये कैजुअल एटीट्यूड है.
गायत्री का कहना है कि साउथ कोरिया ने बड़े पैमाने पर लोगों की जांच की है, लेकिन इटली और अमेरिका इस मामले में नाकाम साबित हुए हैं. भारत में स्वास्थ्य सेवा का बुनियादी ढांचा कमजोर है और ऐसे में अक्लमंदी की चीज ये है कि हम अधिक टेस्ट सेंटर बनाएं.
गायत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने कोरोना से जुड़ी हेल्पलाइन पर फोन करने के बाद ही