लॉकडाउन में नहीं हारे हिम्मत, 5 दिन में 900 KM रिक्शा चलाकर चंदौली पहुंचे 2 मजदूर





इनके पास न तो दिल्ली का आधार कार्ड था और न ही राशन कार्ड. लिहाजा सरकार की तरफ से मिलने वाली तमाम सुविधाओं से इन दोनों को वंचित ही रहना पड़ता. रेल और पब्लिक ट्रांसपोर्ट पहले ही बंद हो चुके थे. ऐसे में इन दोनों ने घर वापसी के लिए अपने रिक्शे को ही अपना साथी बना लिया और निकल पड़े साढ़े बारह सौ किलोमीटर की लंबी और कठिन यात्रा पर.








 





  • रिक्शे से निकले 1250 किलोमीटर के सफर पर

  • 5 दिन में 900 किलोमीटर की यात्रा पूरी की

  • दिल्ली से जाना है बिहार के खगड़िया


कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन क्या हुआ, मजदूरों और कामगारों की तो जैसे दुनिया ही उजड़ गई. दिल्ली-एनसीआर में फंसे ऐसे कई मजदूर अब रिक्शे के जरिए सैकड़ों किलोमीटर लंबा सफर तय कर अपने गांव पहुंच रहे हैं.


बिहार के रहने वाले लालू और धनंजय ऐसे ही दो जांबाज इंसान हैं, जो दिल्ली से खगड़िया तक का 1250 किलोमीटर तक का सफर रिक्शे से तय कर रहे हैं. इन दोनों जवानों से 5 दिनों तक रिक्शे का पैडल मारा और 900 किलोमीटर की यात्रा तय कर ली है. अपना गांव पहुंचने के लिए इन्हें अभी 350 किलोमीटर और चलना है.


लालू और धनंजय यादव ने किया कमाल


मिलिए लालू प्रसाद यादव और धनंजय यादव से. दोनों रिश्ते में चाचा-भतीजे हैं और बिहार के खगड़िया से ताल्लुक रखते हैं. दोनों चाचा भतीजा दिल्ली में रहकर रिक्शा चलाते थे, लेकिन लॉकडाउन होने के बाद देश की राजधानी में जब जनजीवन बेहाल हुआ तो इन दोनों के सामने मुश्किलों का पहाड़ खड़ा हो गया.


इनके पास न तो दिल्ली का आधार कार्ड था और न ही राशन कार्ड. लिहाजा सरकार की तरफ से मिलने वाली तमाम सुविधाओं से इन दोनों को वंचित ही रहना पड़ता. रेल और पब्लिक ट्रांसपोर्ट पहले ही बंद हो चुके थे. ऐसे में इन दोनों ने घर वापसी के लिए अपने रिक्शे को ही अपना साथी बना लिया और निकल पड़े साढ़े बारह सौ किलोमीटर की लंबी और कठिन यात्रा पर.


कभी चाचा, कभी भतीजा


यात्रा के दौरान बारी बारी से चाचा और भतीजे ने रिक्शा चलाया और 5 दिन के थका देने वाले और कमरतोड़ सफर के बाद आखिरकार ये चंदौली पहुंच गए हैं. दिल्ली से चंदौली तक की दूरी 900 किलोमीटर है.


25 मार्च को दिल्ली से निकले थे


लालू प्रसाद यादव बताते हैं कि उन्होंने दिल्ली से अपनी यात्रा 25 तारीख को शुरू की थी. लालू कहते हैं, "न बस चल रहा था, न ट्रेन चल रही थी, कोई साधन नहीं था वहां, बस- ट्रेन सब बंद कर दिया था सरकार ने. जिसके पास आधार कार्ड नहीं है उसको राशन भी नहीं मिल रहा था, वहां पर कोई चारा नहीं मिला तो फिर अपने घर चल पड़े."


3 दिन का सफर बाकी है


लालू ने कहा कि हम लोगों ने तय किया कि हम लोगों को घर जाना है और यहां पर भूखे नहीं रहना है. इसीलिए हम अपने बीवी बच्चे के पास जा रहे हैं.


उन्होंने कहा कि यह मेरा भतीजा है हम दो आदमी हैं. एक आदमी चलाता है फिर एक आदमी आराम करता है. लेकिन दिन भर चलने के बाद जब हम थक जाते हैं तो सड़क के किनारे ही सो जाते हैं. लालू बताते हैं कि खगड़िया पहुंचने में इन्हें 3 दिन और लगेगा.