- लगभग सभी कंपनियों ने अपनी कारों के इंजन को बीएस6 नॉर्म्स के अनुसार कर दिया है अपग्रेड, कोविड-19 के चलते कुछ गाड़ियां नहीं हो पाई अपग्रेड
- देशभर में लॉकडाउन के चलते डीलर्स को बीएस4 कारों के अनसोल्ड स्टॉक बेचने के लिए दी गई है राहत
- कई कंपनियों ने अपनी कारों में दिए जाने वाले डीज़ल इंजन को बीएस6 नॉर्म्स के अनुसार नहीं किया अपग्रेड
- रजिस्ट्रेशन पीरियड पूरा होने तक सड़कों पर दौड़ सकेंगे बीएस4 वाहन
अक्टूबर 2018 में देश के सर्वोच्च न्यायालय ने बीएस4 कारों की बिक्री की अंतिम समय सीमा 1 अप्रैल 2020 तय करने का फरमान सुनाया था। अब वह दिन यानी एक अप्रैल 2020 आ गई है, ऐसे में अब देश में केवल बीएस6 व्हीकल ही बेचे जा सकेंगे। आपकी जानकारी के लिए बात दें कि लगभग सभी कंपनियों ने अपने वाहनों को नए नॉर्म्स के अनुसार अपग्रेड कर दिया है।
नए बीएस6 एमिशन नॉर्म्स पर अपग्रेड व्हीकल्स के एग्जॉस्ट से प्रदूषण कम फैलेगा। बीएस6 एमिशन में वायु में प्रदूषण फैलाने वाले एनओएक्स गैस और कण पदार्थों का ध्यान रखा गया है। बीएस4 कारों कों उनके रजिस्ट्रेशन पीरियड खत्म होने तक सड़कों पर दौड़ने की छूट दी गई है। बीएस4 और बीएस6 नॉर्म्स में क्या है
कंपनियों ने बीएस6 नॉर्म्स के अनुसार अपग्रेडेशन में डीज़ल इंजन को लगभग नज़रअंदाज किया है। चूंकि, वैसे ही पेट्रोल वेरिएंट के मुकाबले कारों के डीज़ल वेरिएंट महंगे होते हैं, ऐसे में यदि इन्हें बीएस6 नॉर्म्स के अनुसार अपग्रेड किया जाता तो ये कंपनियों के लिए काफी महंगा सौदा साबित होता। काफी सारी कंपनियों ने अपने फेमस डीज़ल इंजन को बंद कर दिया है और अपनी कारों को पेट्रोल इंजन के ऑप्शन तक ही सीमित रखा है। इनमें फिएट का 1.3 लीटर मल्टीजेट इंजन शामिल है जिसे मारुति अपनी कारों काफी इस्तेमाल करती है। इसके अलावा रेनो का 1.5 लीटर और हुंडई का 1.6 लीटर डीज़ल इंजन भी अब कारों में नज़र नहीं आएगा।
इस समय ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के स्टेकहोल्डर्स बीएस4 व्हीकल के अनसोल्ड स्टॉक को क्लीयर करने के लिए डेडलाइन एक्सटेंशन की मांग कर रहे हैं। यह मांग सरकार द्वारा लॉकडाउन लगाए जाने से पहले ही उठ चुकी थी क्योंकि देशभर में काफी डीलर्स बीएस4 इंवेंट्री को क्लीयर करने में कामयाब नहीं हुए थे। फिलहाल सरकार ने डीलर्स को लॉकडाउन समाप्त होने के बाद 10 दिनों के अंदर अपनी इंवेट्री का 10 प्रतिशत स्टॉक बेचने के लिए मंजूरी दे दी है।