सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं, इन तीन राज्यों में भी रोचक हो सकता है राज्यसभा चुनाव


राज्यसभा चुनाव इस बार चार राज्यों में दिलचस्प होने वाला है क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस ने क्रॉस वोटिंग की उम्मीद से कांटे वाली सीट पर उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा है। राजस्थान, मध्य और हरियाणा में बीजेपी ने उम्मीदवार उतारा है तो झारखंड में कांग्रेस ने उम्मीदवार उतराकर मुकाबला रोचक बना दिया है। आपको बता दें कि राज्यसभा चुनाव के लिए 16 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। 18 मार्च को नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि है। चुनाव आयोग द्वारा घोषित तिथि के अनुसार, 17 राज्‍यों के 55 राज्‍यसभा सीटों पर 26 मार्च को राज्‍यसभा चुनाव होना है। इसके लिए वोटिंग सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक की जाएगी और वोटों की गिनती शाम 5 बजे की जाएगी। 


झारखंड में कांग्रेस के उम्मीदवार उतराने के बाद क्या है समीकरण


झारखंड में दो सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव होना है। एक सीट पर जेएमएम प्रत्याशी शिबू सोरेन की जीत पक्की है। दूसरी सीट के लिए बीजेपी के दीपक प्रकाश और कांग्रेस के शहजादा अनवर में मुकाबला होगा। हालांकि आंकड़ें दीपक प्रकाश के पक्ष में दिख रहे हैं। आजसू के समर्थन से बीजेपी के दीपक प्रकाश को 28 वोट मिलता दिख रहे है, जबकि जीत के लिए प्रथम वरीयता के केवल 27 वोटों की जरूरत है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी को पार्टी के 16 विधायक, जेवीएम छोड़कर आए दो विधायक, आरजेडी के एक, एनसीपी के एक, माले के एक और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिल सकता है।


राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता के उम्मीदवार दीपक प्रकाश को निर्दलीय उम्मीदवार अमित यादव का भी साथ मिला है। अमित यादव दीपक प्रकाश के नामांकन पत्र के तीसरे सेट में प्रस्तावक बने हैं। इससे पहले एक सेट में विधायक सीपी सिंह, नीलकंठ सिंह मुंडा, अमर बाउरी, अनंत ओझा, विरंची नारायण, मनीष जायसवाल, राज सिन्हा, किशुन दास, नवीन जायसवाल, डॉ. नीरा यादव प्रस्तावक बने। दूसरे सेट में आजसू विधायक लंबोदर महतो, बाबूलाल मरांडी, रामचंद्र चंद्रवंशी, नारायण दास, जेपी पटेल, अमित मंडल, कोचे मुंडा, केदार हाजरा, भानुप्रताप शाही और अपर्णा सेन गुप्ता प्रस्तावक बने हैं। दूसरी ओर झामुमो के पास राज्यसभा की एक सीट जीतने की पूरी संख्या है। शिबू सोरेन की जीत पक्की है। झामुमो के पास 29 सीटें हैं और जीतने के लिए सिर्फ 27 सीट चाहिए। दूसरी सीट को लेकर यूपीए के पास 23 विधायक है। अब देखना यह होगा कि कौन सबसे ज्यादा विधायकों का भरोसा जीत पाता है। 



एक बार फिर दिलचस्प हो गया है हरियाणा में राज्यसभा चुनाव


हरियाणा में राज्यसभा चुनाव एक बार फिर दिलचस्प हो गया है। राज्यसभा की दो सीटों के लिए नियमित और एक सीट पर उपचुनाव होगा। सियासी उलटफेर नहीं हुआ तो एनडीए गठबंधन को दो सीटें मिलना तय है। एक सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार की जीत होगी। हरियाणा में विधायकों की संख्या 90 है। बीजेपी के पास 40 और कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं। 10 जेजेपी और सात में से छह निर्दलीय विधायकों का समर्थन बीजेपी के साथ है। निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू, इनेलो विधायक अभय चौटाला और विधायक गोपाल कांडा के वोट पर सबकी निगाह रहेगी।


रामकुमार कश्यप के समय से पहले इस्तीफा देने और कुमारी शैलजा का कार्यकाल पूरा होने के कारण इन दोनों सीटों पर नियमित चुनाव हो रहा है। जिनकी अवधि 10 अप्रैल 2020 से नौ अप्रैल 2026 तक रहेगी, जबकि बीरेंद्र सिंह के त्यागपत्र के कारण खाली हुई सीट का कार्यकाल एक अगस्त 2022 तक है। इसलिए इस सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है। इन दोनों चुनाव के लिए अलग-अलग नोटिफिकेशन जारी किया गया है। ध्यान रहे कि हरियाणा विधानसभा की सदस्य संख्या 90 है। जीतने वाले उम्मीदवार को 46 वोट यानी 46 विधायकों का समर्थन चाहिए। चूंकि भाजपा के 40 विधायक हैं और उसे 10 जेजेपी और छह निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन प्राप्त है। कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं, इसलिए उपचुनाव वाली सीट के लिए उसे 15 और विधायक जुटाने पड़ेंगे, जो मुश्किल दिखाई देता है। इसलिए इस एक सीट के लिए केवल बीजेपी-जेजेपी गठबंधन का उम्मीदवार ही नामांकन करेगा।


राज्यसभा की दो नियमित सीटों की अगर बात करें तो मौजूदा कानूनी प्रावधानों के अनुसार, ऐसी परिस्थितियों में चुनाव जीतने के लिए न्यूनतम कोटा निर्धारित करने का फार्मूला अलग है। इसके लिए हरियाणा विधानसभा की कुल सदस्य संख्या को 100 से गुणा कर उसे चुनावी सीटों में एक जोड़कर उससे विभाजित किया जाता है और उसमें एक और जोड़ दिया जाता है। उदाहरण के लिए 90 विधायक गुणा 100 अर्थात 9000, उसे दो चुनावी सीट जमा एक करने पर तीन से विभाजित करने पर यह संख्या तीन हजार हो जाएगी, जिसमें एक जुड़ेगा अर्थात संख्या 3001 बन गई। नियमित सीट जीतने के लिए न्यूनतम 3001 मूल्य के वोट चाहिए। इस फार्मूला में हर विधायक के एक वोट का मूल्य 100 होता है अर्थात न्यूनतम 31 विधायकों के साथ एक राज्यसभा सीट जीती जा सकती है। इस प्रकार कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं। वह भी राज्यसभा की दूसरी सीट जीत सकती है, बशर्ते कि विधायक क्रास वोटिंग न करें और अपनी पार्टी के उम्मीदवार को ही पहली वरीयता (पसंद) के रूप में अपना वोट दें।


राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के दो-दो प्रत्याशी मैदान में
राजस्थान से राज्यसभा की तीन सीटों पर होने वाले चुनाव में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दो-दो प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस के के सी़ वेणुगोपाल एवं नीरज डांगी तथा बीजेपी के राजेन्द्र गहलोत एवं औंकार सिंह लखावत ने नामांकन दाखिल किया है। केरल के वेणुगोपाल वर्ष 2009 से 2019 तक लोकसभा के सांसद रहे हैं। वह कनार्टक के पार्टी प्रभारी भी हैं। डांगी यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके है। फिलहाल प्रदेश कांग्रेस में पदाधिकारी हैं। डांगी तीन बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और उन्हें तीनों बार हार का सामना करना पड़ा। भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र गहलोत पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष हैं और राज्य में भैरों सिंह शेखावत सरकार में मंत्री रह चुके है जबकि लखावत राज्यसभा सांसद रहे है। विधानसभा में संख्या बल के आधार पर दो सीटों पर कांग्रेस और एक पर बीजेपी उम्मीदवार के चुनाव जीतने की संभावना है। 


बीजेपी के राज्यसभा सांसद रामनारायण डूडी, विजय गोयल और नारायण लाल पंचारिया का कार्यकाल पूरा होने पर ये तीन सीटें खाली हो रही है। राज्य की 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 107 विधायक और बीजेपी के 72 विधायक हैं। राज्य के 13 में से 12 निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है। राजस्थान में राज्यसभा की कुल 10 सीटें हैं जिनमें से फिलहाल 9 बीजेपी और एक कांग्रेस के पास है।


मध्य प्रदेश में भी बीजेपी-कांग्रेस ने उतारे दो-दो उम्मीदवार


मध्य प्रदेश में कांग्रेस से दिग्विजय सिंह, फूल सिंह बरैया और बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और डॉक्टर सुमेर सिंह सोलंकी को मैदान में उतारा है। सोलंकी का नामांकन पत्र रद्द हो सकता है लिहाजा पार्टी ने राज्यसभा चुनाव में तीसरा उम्मीदवार भी खड़ा किया है। पार्टी ने पूर्व मंत्री रंजना बघेल से भी नामांकन दाखिल कराया है। अगर सोलंकी की उम्मीदवारी रद्द होती है तो रंजना पटेल बघेल पार्टी की तरफ से प्रत्याशी होंगी। आपको बता दें कि राज्य की 228 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या 114 है, जबकि पार्टी को चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी और एक विधायक का समर्थन भी हासिल है। वहीं कांग्रे के 22 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है या राज्यसभा चुनाव में मतदान के दौरान वे अनुपस्थित रहते हैं तो विधानसभा में सदस्यों की संख्या 206 रह जाएगी। ऐसी स्थिति में कांग्रेस के पास सिर्फ 92 सदस्य होंगे, जबकि बीजेपी के खेमें में 107 विधायक होंगे। उम्मीद है कि भाजपा के सिंधिया और कांग्रेस के दिग्विजय सिंह आसानी से जीत दर्ज कर लेंगे क्योंकि वे संभवत: अपनी-अपनी पार्टियों की पहली पसंद है। तीसरी सीट के लिए भाजपा के सुमेर सिंह सोलंकी और कांग्रेस के फूल सिंह बरैया के बीच मुकाबला होगा।